Friday, 4 May 2018

Pm Modi Is Making Bjp Wave In By Rallies In Karnataka - कर्नाटक चुनाव: मोदी की रैलियों से बीजेपी की लहर बनाने की कोशिश

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कर्नाटक के विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुरुआत में केवल 12 रैलियां आयोजित करने की योजना बनाई थी। लेकिन जैसे जैसे प्रचार जोर पकड़ रहा है, मोदी की रैलियों की संख्या बढ़ती जा रही है। पहले 12 से बढ़कर 15 हुई, उसके बाद 18 और अब यह तय हुआ है कि कर्नाटक में प्रधानमंत्री की कुल 21 रैलियां आयोजित कर बीजेपी की लहर बनाई जाए।

फिलहाल वे एक दिन छोड़कर कर्नाटक का दौरा कर रहे हैं। लेकिन मतदान के पास आने पर वे रोज कर्नाटक जाएंगे। चूंकि प्रधानमंत्री की हर रैली में दो लाख से तीन लाख लोग आ रहे हैं, पार्टी को विश्वास है कि इन रैलियों से उन्हें सुनिश्चित बढ़त प्राप्त होगी।

प्रधानमंत्री केवल रैलियां ही संबोधित नहीं कर रहे हैं। जिस दिन वे कर्नाटक नहीं जा पा रहे हैं उस दिन वे नमो ऐप के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करते हैं। कभी युवाओं से, कभी महिलाओं से तो कभी व्यापारियों से। इससे न सिर्फ कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हो रहा है बल्कि प्रधानमंत्री स्वयं जमीनी हकीकत से रोज रूबरू हो रहे हैं।

यह पहली बार नहीं है कि बीजेपी प्रधानमंत्री मोदी का चुनाव में इतना ज्यादा इस्तेमाल कर रही है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के अंतिम दौर में उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी के गली-मोहल्लों की पदयात्रा कर धूम मचा दी थी। विपक्ष जिसे मोदी की घबराहट का प्रतीक बता रहा था, उसी रणनीतिक कदम की वजह से बीजेपी को सहयोगियों के साथ उत्तर प्रदेश की 403 में से 325 सीटें मिली थी।

इसी तरह उन्होंने त्रिपुरा, असम, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड आदि राज्यों के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। लेकिन दक्षिण भारत का द्वार होने के नाते कर्नाटक का महत्व अलग है। यहां मिली बड़ी जीत अगले साल के लोकसभा चुनाव पर भी असर डालेगी। इसीलिए, यूपी के बाद मोदी सबसे ज्यादा प्रचार कर्नाटक में ही कर रहे हैं।


बीजेपी की कोशिश कांग्रेस के अहिंदा (अल्पसंख्यक, हिंदूइदावरू यानी ओबीसी और दलित) के गढ़ में सेंध लगाने की है। उन्हें उम्मीद है कि उसके दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक का एक हिस्सा जद (स) को जाएगा। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया स्वयं पिछड़ी कुरुबा जाति से हैं। प्रधानमंत्री मोदी उसके ओबीसी कार्ड का मजबूत काट हैं।

दक्षिण का मायाजाल

बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि दक्षिण कर्नाटक की फिलहाल जद (स) बनाम कांग्रेस लड़ाई को यदि वे त्रिकोणीय बना सकें तो चुनावी नतीजे अलग ही आएंगे। यहां 10 से 12 सीटें जीतने के लिए बीजेपी को मोदी का ही सहारा है।

लिंगायत कार्ड

पार्टी का मानना है कि कांग्रेस अंतिम अस्त्र के तौर पर बीजेपी की केंद्र सरकार पर लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने वाले राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी न देने का आरोप लगाएगी। लेकिन बीजेपी के भरोसा है कि इससे उन्हें अधिक नुकसान नहीं होगा।
 



कर्नाटक के विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुरुआत में केवल 12 रैलियां आयोजित करने की योजना बनाई थी। लेकिन जैसे जैसे प्रचार जोर पकड़ रहा है, मोदी की रैलियों की संख्या बढ़ती जा रही है। पहले 12 से बढ़कर 15 हुई, उसके बाद 18 और अब यह तय हुआ है कि कर्नाटक में प्रधानमंत्री की कुल 21 रैलियां आयोजित कर बीजेपी की लहर बनाई जाए।


फिलहाल वे एक दिन छोड़कर कर्नाटक का दौरा कर रहे हैं। लेकिन मतदान के पास आने पर वे रोज कर्नाटक जाएंगे। चूंकि प्रधानमंत्री की हर रैली में दो लाख से तीन लाख लोग आ रहे हैं, पार्टी को विश्वास है कि इन रैलियों से उन्हें सुनिश्चित बढ़त प्राप्त होगी।

प्रधानमंत्री केवल रैलियां ही संबोधित नहीं कर रहे हैं। जिस दिन वे कर्नाटक नहीं जा पा रहे हैं उस दिन वे नमो ऐप के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करते हैं। कभी युवाओं से, कभी महिलाओं से तो कभी व्यापारियों से। इससे न सिर्फ कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हो रहा है बल्कि प्रधानमंत्री स्वयं जमीनी हकीकत से रोज रूबरू हो रहे हैं।

यह पहली बार नहीं है कि बीजेपी प्रधानमंत्री मोदी का चुनाव में इतना ज्यादा इस्तेमाल कर रही है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के अंतिम दौर में उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी के गली-मोहल्लों की पदयात्रा कर धूम मचा दी थी। विपक्ष जिसे मोदी की घबराहट का प्रतीक बता रहा था, उसी रणनीतिक कदम की वजह से बीजेपी को सहयोगियों के साथ उत्तर प्रदेश की 403 में से 325 सीटें मिली थी।

इसी तरह उन्होंने त्रिपुरा, असम, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड आदि राज्यों के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। लेकिन दक्षिण भारत का द्वार होने के नाते कर्नाटक का महत्व अलग है। यहां मिली बड़ी जीत अगले साल के लोकसभा चुनाव पर भी असर डालेगी। इसीलिए, यूपी के बाद मोदी सबसे ज्यादा प्रचार कर्नाटक में ही कर रहे हैं।






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ओबीसी बनाम ओबीसी







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